एशियन वेल्थ मार्केट के अनुसार दस लाख डालर की न्यूनतम निवेश क्षमता वाले भारत में 1,73,000 लोग हैं जिनकी कुल संपत्ति मात्र 42 लाख करोड़ रूपये है, लगभग 950 अरब डालर.
सम्भावना है कि 2015 तक ये संपत्ति बढ़कर 2465 अरब डालर यानि 1,00,00,000 करोड़ रूपए होगी. ऐसे महानुभावों की संख्या भी बढ़कर हो जाएगी 4,03,000. अब सीएलएसए के मुताबिक तेज आर्थिक वृदि और शानदार मुनाफे के चलते भारत में संभावनाएं बहुत हैं.
हमारे प्यारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारी महंगाई इसलिए बढ़ रही है क्योंकि हम खाते बहुत हैं, क्रय क्षमता बढ़ गयी है और साथ ही बढ़ गयी है हमारी आमदनी इसलिए हमारी कीमतें कम करने की मांग स्वीकार करना तो जरा मुश्किल है. ज्यादा जरुरी है विदेशी पूंजी निवेश की आकर्षित करना और देश की आर्थिक विकास दर को बढाकर आठ प्रतिशत तक ले जाना.
भारत में वामपंथी तो हमेशा ही मजदूर और गरीबों की बात करते हैं अब तो दक्षिणपंथी भी उसी सुर में बोल रहे हैं पर बेशक घोटालों में देश कितना ही लुट जाये, सरमायेदारों को कितनी भी सब्सिडी मिल जाये पर गरीब का तो हाल बेहाल ही रहेगा. वैसे भी मोंटेक सिंह जी तो यदा कदा हमें समझाते ही रहेंगे कि देश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की तादात में निरंतर कमी आ रही है.
सीधा सा मतलब है प्यारे, तैयार हो जाओ क्योंकि ये वृद्धि दर हासिल करने के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष चूसा तो हमें ही जाएगा. आखिर हम हैं आम... आम आदमी
सम्भावना है कि 2015 तक ये संपत्ति बढ़कर 2465 अरब डालर यानि 1,00,00,000 करोड़ रूपए होगी. ऐसे महानुभावों की संख्या भी बढ़कर हो जाएगी 4,03,000. अब सीएलएसए के मुताबिक तेज आर्थिक वृदि और शानदार मुनाफे के चलते भारत में संभावनाएं बहुत हैं.
हमारे प्यारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारी महंगाई इसलिए बढ़ रही है क्योंकि हम खाते बहुत हैं, क्रय क्षमता बढ़ गयी है और साथ ही बढ़ गयी है हमारी आमदनी इसलिए हमारी कीमतें कम करने की मांग स्वीकार करना तो जरा मुश्किल है. ज्यादा जरुरी है विदेशी पूंजी निवेश की आकर्षित करना और देश की आर्थिक विकास दर को बढाकर आठ प्रतिशत तक ले जाना.
भारत में वामपंथी तो हमेशा ही मजदूर और गरीबों की बात करते हैं अब तो दक्षिणपंथी भी उसी सुर में बोल रहे हैं पर बेशक घोटालों में देश कितना ही लुट जाये, सरमायेदारों को कितनी भी सब्सिडी मिल जाये पर गरीब का तो हाल बेहाल ही रहेगा. वैसे भी मोंटेक सिंह जी तो यदा कदा हमें समझाते ही रहेंगे कि देश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की तादात में निरंतर कमी आ रही है.
सीधा सा मतलब है प्यारे, तैयार हो जाओ क्योंकि ये वृद्धि दर हासिल करने के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष चूसा तो हमें ही जाएगा. आखिर हम हैं आम... आम आदमी