अमरोहा, यू पी से  मुझसे  मिलने  आनंद  प्रकाश  जी  आये  और  एक  प्रकरण  में  मुझसे  मदद  मांगी,  जो  उन्होंने  कहा  वो  आप   से  शेयर  कर  रहा  हूँ.  
श्यामपुर  गाँव  के  मजबूर  शफरू  की दास्तान कोई  नहीं  सुनता क्योंकि  वो  साधनहीन  है, शफरू  की  नन्ही  सी  बेटी  के  साथ  रिजवान  नाम  के  लड़के  ने  गाँव  में  ही  रेप  किया और  उसके  बाद  किसी  को  न  बताने  की  धमकी  देकर  भगा   दिया. किसी तरह का कोई केस भी शायद ही दर्ज  हुआ होगा. बेचारी  डरी-सहमी  बच्ची  ने  तब  तक  किसी  को  कुछ  भी  नहीं  बताया  जब  तक  की  उसकी  तबियत  खराब  नहीं  हो   गयी. हद  तो  तब  हो  गयी  जब  उसे  इलाज   या  सहायता   के  लिए  गाँव  से  बाहर  जाने  से  भी  रोका  गया  और  सारी  बात  पंचायत  में  ही  निपटाने  के  लिए  ( वस्तुत: जबरदस्ती )  मनाया  गया. सवाल  हुक्का-पानी  बंद  होने  का  आया  तो  बाकि  परिवार  की  सोच  कर  बेचारा  शरफू चुप  रह  गया. मायावती  का  राज  कितना  दबंग  है , या मजबूर है  इसका  इल्म  मुझे  तब   हुआ  जब  पंचों का  फैसला  आया. रिजवान  को  आरोपी  तो  माना  गया  और  सजा  भी  तजवीज़  की  गयी, और  कोई   छोटी-मोटी सजा  नहीं पूरे दो थप्पड़.
एक नन्ही सी बच्ची के दर्द को ये समाज कब समझेगा ?
क्या ये पंचायतें कभी औरत को इंसान समझेंगी ?
मुज्जफरनगर कमिश्नरी में रहे अपने एक परिचित आई.ए.एस. मित्र को फ़ोन लगाया तो उन्होंने तुरंत आनंद जी को भेजने के लिए कहा ताकि शरफू की बिटिया को हर संभव प्रशासनिक व चिकित्सीय मदद मुहैया करायी जा सके.
आपके आशीर्वचनों की अभिलाषा जरुर रहेगी और एक वायदा भी कि उस नन्ही बच्ची तक आपकी भावना जरुर पहुंचेगी और साथ ही न्याय भी.
उस बच्ची की व्यथा सुनकर जो दर्द हमें हुआ उम्मीद है कि आपको भी उस दर्द का एहसास जरुर होगा, आखिर बेटियाँ सबकी सांझी होती हैं.
सोचिये यदि, हम लोग सिर्फ कागजों पर अपनी भड़ास निकाल कर अपना कर्तव्य पूरा मान लेंगे तो रिजवान जैसे लोग अपनी बेहूदा अनाप-शनाप परम्पराओं का फायदा उठा कर ना जाने कितनी बच्चियों का बेडा गर्क करेंगे और जिसकी सजा होगी मात्र दो थप्पड़ एक मेरी आत्मा पर और दूसरा... इसका निर्णय मैं पूर्णतया आप पर छोड़ता हूँ.
 
एक नन्ही सी बच्ची के दर्द को ये समाज कब समझेगा ?
क्या ये पंचायतें कभी औरत को इंसान समझेंगी ?
मुज्जफरनगर कमिश्नरी में रहे अपने एक परिचित आई.ए.एस. मित्र को फ़ोन लगाया तो उन्होंने तुरंत आनंद जी को भेजने के लिए कहा ताकि शरफू की बिटिया को हर संभव प्रशासनिक व चिकित्सीय मदद मुहैया करायी जा सके.
आपके आशीर्वचनों की अभिलाषा जरुर रहेगी और एक वायदा भी कि उस नन्ही बच्ची तक आपकी भावना जरुर पहुंचेगी और साथ ही न्याय भी.
उस बच्ची की व्यथा सुनकर जो दर्द हमें हुआ उम्मीद है कि आपको भी उस दर्द का एहसास जरुर होगा, आखिर बेटियाँ सबकी सांझी होती हैं.
सोचिये यदि, हम लोग सिर्फ कागजों पर अपनी भड़ास निकाल कर अपना कर्तव्य पूरा मान लेंगे तो रिजवान जैसे लोग अपनी बेहूदा अनाप-शनाप परम्पराओं का फायदा उठा कर ना जाने कितनी बच्चियों का बेडा गर्क करेंगे और जिसकी सजा होगी मात्र दो थप्पड़ एक मेरी आत्मा पर और दूसरा... इसका निर्णय मैं पूर्णतया आप पर छोड़ता हूँ.
 
